हिमाचल प्रदेश और यहां के देवी देवता
हिमाचल प्रदेश राज्य बर्फ से लदी हिमालय के बीच में स्थित है। इसके स्थान के कारण इसका नाम इस प्रकार रखा गया है: वह 'बर्फ' के लिए संस्कृत शब्द से लिया गया है, और अचल का अर्थ है 'भूमि' या 'निवास'। प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिमालय का जन्म भगवान शिव के तनों से हुआ था। वे देवी गंगा से पृथ्वी की रक्षा के लिए बनाए गए थे जब महान नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर प्रवाहित हुई थी। वहाँ कई पुरानी बस्तियाँ पाई जाती हैं जो समय के साथ लुप्त होती प्रतीत होती हैं। वैदिक और पुराण दोनों देवताओं की आज भी यहां प्राचीन रीति-रिवाजों और संस्कारों के अनुसार पूजा की जाती है। हिमाचल में बड़े ग्लेशियर हैं जो कई बारहमासी नदियों को खिलाते हैं: रावी, चिनाब, ब्यास, सतलुज, यमुना और इसी तरह। ये नदियाँ लाखों लोगों का भरण-पोषण करती हैं।
| Himachal Pradesh Culture And Tradition |
हिमाचल प्रदेश के देवी देवताओं के बारे में कुछ बातें
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) को देवभूमि
का दर्जा दिया
जाता है. यहां
पर कई देवी
देवता वास करते
हैं. हर गांव
या इलाके के
अपने पारंपरिक इष्ट
देवी देवता होते
हैं. जहां स्थानीय
रीति रिवाजों से
उनकी पूजा अर्चना
और उपासना की
जाती है. किसी
भी घर
में शादी विवाह,
धार्मिक कार्य या कोई
भी शुभ काम
शुरु करने से
पहले वहां के
इष्ट देवता से
अनुमति ली जाती
है.
| Himachal Pradeseh Devi Devta |
हिमाचल प्रदेश में देवी देवताओं को दिया जाता है निमंत्रण
हिमाचल में सभी
इष्ट देवी देवताओं
को अलग-अलग
नाम से भी
पुकारा जाता है.
जब भी पारंपरिक
मेले या त्योहार
मनाए जाते हैं,
तो उसमें भी
इन सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित
किया जाता है.
जैसे कुल्लू (Kullu) का
दशहरा, मंडी (Mandi) की शिवरात्रि,
रामपुर का फाग
मेला आदि. मान्यता
है कि यह
देवी देवता कठिन
परिस्थितियों में प्रदेश
वासियों की रक्षा
करते हैं. इनका
नाम भर लेने
से सारी समस्याओं
का निवारण हो
जाता है.
श्रद्धालुओं
के सवालों का जवाब देते हैं देवी देवता
परंपरा के मुताबिक हर देवता का अपना क्षेत्र होता है. उनके अंतर्गत एक गांव या इलाका आता है. अपने क्षेत्र के निरीक्षण के लिए साल में एक बार देवता निकलते हैं. इसी तरह से लोग बारी-बारी करके इनको कंधे पर सवार करके घर-घर लेकर जाते हैं. कई बार ऐसा भी होता है जब आधुनिक चिकित्सक फेल हो जाते हैं तो इन देवी-देवताओं के द्वारा दिए गए नुस्खे काम आते हैं. यह देवता अपने पुजारियों के जरिए भक्तों से संवाद करते हैं. हर इष्ट देवता का एक पुजारी होता है और वह पुजारी अपना सवाल इष्ट देवता के सामने रखता है. देवता प्रश्न के अनुसार अपना सर हिला कर हां या ना में जवाब देते हैं.
| Himachal Pradesh Rath Yatra |
अपने इलाके की रक्षा
भी
करते
हैं
देवी
देवता
यह देवी देवता अपने इलाके या गांव के रक्षक भी होते हैं. जब गांव में किसी भूत-प्रेत, रोग-बीमारी या दूसरे तरह की उपरी बाधाएं होने की आशंका होती है. तो देवता उस पूरे प्रभावित क्षेत्र का चक्कर लगाते हैं और अपनी शक्ति से बुरी शक्तियों या दुष्ट आत्माओं को गांव से बाहर निकाल देते हैं. जिसके बाद लोग अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करने के लिए भोज का भी प्रबंध करते हैं. रक्षक होने की वजह से ही हिमाचल के बड़े बुजुर्ग देवताओं का सम्मान करते हैं और इनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
हिमाचल प्रदेश के
देवी-देवता
अरबों की संपत्ति के मालिक
हैं
हिमाचल प्रदेश के देवी-देवता अरबों की
संपत्ति के मालिक
हैं। शक्तिपीठों में
मां चिंतपूर्णी के
पास अरबों की
संपत्ति है। मां
चिंतपूर्णी के दरबार
में सालभर श्रद्धालु
आते हैं। देवी
मां के दर
पर श्रद्धालु मन्नत
मांगते हैं। मन्नत
पूरी होने पर
वे दिल खोलकर
मां के चरणों
के में भेंटें
चढ़ाते हैं। मां
चिंतपूर्णी के पास
1.2 अरब रुपये की एफडी
है और करीब
दो क्विंटल सोना
और 71.42 क्विंटल चांदी है।
इसके अलावा मां
चिंतपूर्णी के पास
1.57 करोड़ रुपये की नकदी
है। मां श्रीनयना
देवी, चामुंडा देवी,
ब्रजेश्वरी देवी और
ज्वाला जी के
पास भी करोड़ों
रुपये की चल-अचल संपत्ति
है।
| Himachal Pradseh Shaktipeeth |
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